Details, Fiction and sidh kunjika
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम्।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ओं ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
इसके प्रभाव से जातक उच्चाटन, वशीकरण, मारण, मोहन, स्तम्भन जैसी सिद्धि पाने में read more सफल होता है.